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आलसी बेटे | AALSI BETE | HINDI KAHANIYA | HINDI STORIES /vishalstudiospjav

 आलसी बेटे | AALSI BETE | HINDI KAHANIYA | HINDI STORIES

आलसी बेटे | AALSI BETE | HINDI KAHANIYA | HINDI STORIES /vishalstudiospjav


00:00:07    Speaker 1

सीतापुर गांव में श्याम नाम का एक किसान रहता था उसके दो बेटे थे रवि और किशन दोनों अपने परिवार से बहुत प्यार करते थे, लेकिन थोड़े और अपनी मन मर्जी के मालिक थे दोनों अपनी माँ के लाडले थे एक दिन 


00:00:29    Speaker 2

रवि किशन, कहाँ हो तुम दोनों? रवि किशन अरे कहाँ हो तुम दोनों गरीब भाग्यवान तुम ही बता दो कहाँ हैं दोनों? 


00:00:41    Speaker 1

वो घड़ी  देखो और बताओ कितना बज रहा है 


00:00:44    Speaker 2

ग्यारह बज रहे हैं 


00:00:47    Speaker 1

हाँ, तो अभी मेरे दोनों बच्चे सो रहे हैं, अभी एक घंटे बाद उठेंगे


00:00:53    Speaker 2

तुम खुद तोड़ते नहीं जल्दी और ऊपर से उन दोनों को भी वही सीखा रखा है, लेकिन मैं ऐसा ����ीं होने दूंगा अभी देखो मैं इनको कैसे उठाता हूँ, आज इनको नहीं छोडूंगा मैं हाँ 


00:01:11    Speaker 1

श्याम पानी लेता है और उन दोनों पर डाल देता है पानी पड़ते ही दोनों चिल्लाने लगते हैं 


00:01:19    Speaker 2

बारिश, बारिश आ गई भागा 


00:01:24    Speaker 2

बारिश नहीं है, नालायको किशन, माँ से कहो भिखारी को रोटी दें तू ही बोल दे भाई अभी तो आंख खोलने का मन ही नहीं कर रहा, भिखारी को भी अभी आना था नौ लय को भिखारी नहीं है तुम्हारा बाप हूँ मैं ये भिखारी की आवाज हमारे पिताजी की तरह क्यों लग रही है? हाँ बिल्कुल उन्हीं की तरह ही लग रही है भाई 


00:01:49    Speaker 1

तभी श्याम पास में पड़ा अपना धन्दा उठाता है और उन लोगों की पिटाई शुरू कर देता है 


00:01:58    Speaker 2

आई, पिताजी, पिताजी, पिताजी, पिताजी 


00:02:03    Speaker 1

अरे अरे बस करो सुबह सुबह मेरे बच्चों को मार रहे हो


00:02:07 Speaker 2

तुम्हारे ही लाड प्यार नहीं नहीं बिगाड़ रखा है ना घर का काम करते है ना बहार का काम, बस ��ूरे दिन खाना और सोना है पिताजी हम खेतों का काम करने के लिए नहीं बने हम तो महामंत्री और मंत्री बनने के लिए पैदा हुए हैं पिता जी हाँ पिताजी हम से ये खेत वेत का काम नहीं होता


00:02:26 Speaker 1

हा�����, अब तुम मेरे बच्चों को कुछ नहीं बोलोगे

00:02:29 Speaker 2

ठीक है, मैं तुम लोगों से एक महीने तक कुछ नहीं बोलूँगा, लेकिन अगर एक महीने बाद भी तुम मंत्री और महामंत्री नहीं बनाये तो तुम दोनों को खेतों में मेरे साथ काम करना पड़ेगा ठीक है, पिताजी हाँ, पिताजी ठीक है, चलो अब आप जाओ और हमें सोने दो, अभी भी तुम लोगों को सोना है हाँ पिताजी अभी तो बारह बजने में पूरे पैंतालीस मिनट है और अभी तो आपने कहा की आप हमें कुछ नहीं बोलेंगे

00:02:59 Speaker 1

हाँ, चलो जाओ, जाओ सोने दो, मेरे बच्चों को श्याम वहाँ से चला जाता है और भी दोनों दोबारा सो जाते है थोड़ी देर बाद दोनों उठते है

00:03:13 Speaker 2

उठ गए नवाब साहब जाओ खाना खिलाओ अपने इन लाडलों को

00:03:18 Speaker 1

सब खाना खाने बैठ जाती है खाना खाने के बाद श्याम खेतों पर चला जाता है और किशन रवि दोनों जंगल की तरफ घूमने के लिए बाहर चले जाते हैं और एक जगह पर बैठ जाती है

00:03:34 Speaker 2

किशन हमने पिताजी से कह तो दिया की हम महामंत्री और मंत्री बनेंगे, लेकिन कैसे? अरे रव��� तो इतना परेशान क्यों हो रहा है? कोई ना कोई तरकीब तो निकालेंगे ही

00:03:45 Speaker 1

वे दोनों यही सोचते रह������ हैं की क्या करे थोड़ी देर बाद?

00:03:51 Speaker 2

महामंत्री और मंत्री बनने के लिए हमें सबसे पहले महल के अंदर पहुंचना होगा और महाराज को अपने बारे में बताना होगा तो देर किस बात की है, चलते है

00:04:00 Speaker 1

दोनों राजा के महल में जाते हैं

00:04:03 Speaker 2

कौन हो तुम दोनों महाराज हम इसी गाव में रहते हैं महाराज हम दोनों को काम चाहिए ठीक है, हम तुम दोनों को माली काकाम देते है ठीक है, महा���ाज ठीक है

00:04:17 Speaker 1

दोनों महल में माली का काम करने लगते हैं और धीरे धीरे राजा के मन में अ��नी जगह बना लेते हैं एक दिन रानी भागती भागती दरबार में आती है महाराज महाराज
00:04:33 Speaker 2

क्या हुआ? महारानी आप ऐसे भागते हुए क्यों आ रही है? क्या हुआ आपको? आप रो क्यों रही है?

00:04:42 Speaker 1

महाराज हमारा सबसे प्रिय हार चोरी हो गया जो हमारी माँ ने हमें दिया था उनकी वही आखिरी निशानी थी हमारे पास हमे वो हार चाहि��

00:04:52 Speaker 2

आप परेशान मत हो महारानी हम वो हार आपको जरूर लाकर देंगे

00:04:59 Speaker 1

महाराज कुछ करिए आप, हमें वो हार चाहिए रानी को ऐसे देख राजा बहुत परेशान हो गयी क्योंकि वो रानी को बहुत प्यार करते थे उन्होंने वो हार खोजने के लिए नगर में घोषणा करवाई

00:05:14 Speaker 2

सुनो सुनो, सुनो, जो भी महारानी को उनका प्रिय हार लाकर देगा महाराज उसे मनचाहा इनाम देंगे सुनो सुनो सुनो

00:05:29 Speaker 1

घोषणा को सुनकर सभी लोग रानी का हार खोजने में लग जाते हैं, लेकिन किसी को भी हार नहीं मिलता कई दिन ऐसे ही गुजर गए और रानी दुखी रहने लगी रानी की ये हालत देखकर राजा को बहुत बुरा लग रहा था एक दिन से

00:05:51 Speaker 2

राज़ महाराज कहो क्या कहना है तुम दोनों को महाराज हम दोनों भी एक बार महारानी का हार तलाश करना चाहते हैं नहीं नहीं, अब हमें आस मत दिलाओ, हमें पता है वो हार नही�� मिलेगा नाराज हमें एक मौका तो दीजिये मेरे भाई एक ज्योतिषी हैं और वो इतने दिन से नक्षत्रों की गणना कर रहा था आज अमावस्या की रात है, वो पूरी रात ध्यान करेगा और विद्या से पता करेगा की महारानी का हर कहा है अगर ऐसा ही था तो तुमने पहले क्यूँ नहीं ढूंढा महाराज? हम देना चाहते थे कि गांव वालों को भी मौका मिलना चाहिए, ना ठीक है दिया और तुम्हें एक मौका लेकिन अगर तुम दोनों वो हार नहीं लाये तो तुम दोनों को फांसी की सजा दी जाएगी

00:06:39 Speaker 2

महाराज मेरा भाई इस गांव से दूर पहाड़ी पर अकेला ध्यान करेगा ताकि चाँद का प्रभाव कम ना हो और कल तक आपको वो हार लाकर देंगे बस आप हमारा वहाँ रुकने का इंतजाम करवा दीजिये और हमारा आज वहाँ कोई ना आये ठीक है, ठीक है महाराज मैं उस चोर के बहुत करीब तक पहुँच गया हूँ हाँ और चोर चोर ठीक है

00:07:03 Speaker 1

राजा उन दोनों के लिए वहाँ एक तम्बू बनवा देते हैं पर भी दोनों वहाँ चले जाते हैं वहाँ पहुँचकर
00:07:11 Speaker 2

हमने महाराज को कह तो दिया की हम हार को वापस ले आएँगे, लेकिन लाएंगे कैसे? तू परेशान मत हो बस देख ताजा और उस चौकी पर बैठ जाओ
00:07:22 Speaker 1

वो बैठ जाता है तभी वहाँ एक बूढ़ी औरत आती है बूढ़ी औरत मन में सोचते हुए मुझे लगता है ये महाराज के सामने मेरा राज़ बता ही देंगे मुझे इनसे माफी मांग लेनी चाहिए

00:07:40 Speaker 2

ओम चन्द्राय नम ओम चन्द्राय नमः ओम चन्द्राय नम माँ

00:07:45 Speaker 1

बेटा बेटा मुझे माफ़ कर दो, मैं रानी की दासी हूँ, मैंने ही उनका हार चुराया ���ै, तु�� ये बात राजा को मत बताना अगर तुमने बताया तो मुझे महल से निकाल दिया जाएगा मैं

00:07:59 Speaker 2

ठीक है, ठीक है, नहीं बताऊँगा लेकिन आगे से कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए

00:08:04 Speaker 1

नहीं होगा नहीं होगा बस इस बार मुझे बचा लो

00:08:08 Speaker 2

अच्छा, अच्छा ठीक है अब जल्दी से बताओ वो हार कहा है

00:08:12 Speaker 1

ये रहा बुहार ये रहा बुढ़िया अपनी पोटली से वो हार निकलती है और दे देती है

00:08:19 Speaker 2

चलो, अब यहाँ से जल्दी जाओ

00:08:21 Speaker 1

बुढ़िया वहाँ से चली जाती है, बुढ़िया के जाने के बाद किशन बोलता है

00:08:27 Speaker 2

अरे ��वि, ये ��ब कैसे हुआ? मुझे पता था की हार चोरी हुआ है और चोर अपने आप को बचाने के लिए हमारे पास जरूर आएगा इसलिए तो मैंने महाराज से यह घोषणा करवाई थी अच्छा ये तो बहुत अच्छा हुआ चोर हमारे जाल में फंस गया चोर नहीं चोर नहीं

00:08:46 Speaker 1

अगले दिन राजा उस तंबू के पास आता है

00:08:49 Speaker 2

रवि किशन क्या वो हार मिला? ये लीजिये महाराज महारानी का हार ये अब ये कैसे मिला? कैसे मिला तुम दोनों को? तुम दोनों ने तो सच में कमाल कर दिया वाह क्या बात है हम तुम दोनों से बहुत खुश है बताओ तुम्हें क्या चाहिए महाराज मुझे महामंत्री और मेरे भाई को मंत्री बना दीजिए

00:09:15 Speaker 1

राजा ने अपने वादे को पूरा किया और उन्हें मंत्री और महामंत्री बना दिया की बात जानकर उनके पिता भी बहुत खुश हुए और धीरे धीरे उनके पास अपार धन हो गया

00:09:30 Speaker 2

देखा? पिताजी हो गया ना हमारा सपना पूरा? हाँ, हाँ हो गया हो गया, लेकिन मेरी वजह से जब मैंने तुम लोगों को पानी फेंक के उठाया था, उसी का नतीजा है ये हाँ

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